घर चाहे नया बनाना हो या फिर पहले से बना हो, घरों में सकारात्मकता लाने के तमाम उपाय वास्तुशास्त्र में मौजूद हैं. दिल्ली NCR के प्रख्यात वास्तु एक्सपर्ट पं सुमित शर्मा बताते हैं कि तो असल में वास्तुशास्त्र में निहित वास्तु पुरुष भी एक परिकल्पना है. भारतीय वैदिक पद्वति में चाहे वो योग हो, आयुर्वेद हो, ज्योतिष हो या वास्तु, सभी में मानव शरीर को ही जोड़ा गया है. वास्तुशास्त्र खासकर पृथ्वी की एनर्जी पर आधारित है, इसलिए मकान बनाते समय लोगों को वास्तु का ध्यान रखना अनिवार्य होता है.
पं सुमित शर्मा बताते हैं कि घर बनाते समय हमें ये ख्याल रखना है कि परिकल्पित वास्तु पुरुष का सर हमेशा घर के उत्तर-पूर्व यानी नॉर्थ-ईस्ट में रहता है. इसलिए अगर उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा में हम घर का बाथरूम बना देते हैं तो इसके नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं. वे बताते हैं कि टॉयलेट का काम ड्रेन आउट करना है. इस कारण अगर किसी घर में उत्तर-पूर्व दिशा में टॉयलेट है, तो उक्त घर के लोगों को सिर से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं. चिड़चिड़ापन, मानसिक घुटन, गुस्सा आना इत्यादि समस्याएं उत्तर पूर्व दिशा में टॉयलेट बनाने के दोष हैं. समाधान ना होने पर ये गंभीर बीमारियों में जैसे कि कैंसर में तब्दील हो सकते हैं. वहीं दक्षिण-पश्चिम (South-West) में टॉयलेट बने होने पर हार्ट की समस्या और वंश वृद्धि में दिक्कत देखने को मिलती है.
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